भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे भ्रष्टाचार-विरोधी

क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ़ संघर्ष करने वाले लोग खुद ही भ्रष्टाचारी हैं? अन्ना हजारे की अगुआई वाली संस्था “इंडिया अगेंस्ट करप्शन” (आईएसी), जिसके परचम तले भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन शुरू किया गया है, स्वयं ही विवादों में घिरती जा रही है.

आईएसी के वरिष्ठ सदस्य अरविंद केजरीवाल ने आयकर विभाग को साढ़े नौ लाख रुपये वापस कर देने की बात कही है. केजरीवाल फरमाते हैं कि वह इस मुद्दे को यहीं खत्म कर देंगे.

आयकर विभाग को साढ़े नौ लाख रुपये वापस कर देने से मुद्दा खत्म नहीं होता केजरीवाल
साहिब! इतनी रकम वापस करने से सिर्फ आपके खिलाफ़ आयकर विभाग का मामला ही समाप्त होता है. मुद्दा तो यह है कि आपने जो किया था, वह भ्रष्ट कार्य था या नहीं.

आईएसी की अन्य वरिष्ठ सदस्या किरण बेदी पर भी वित्तीय अनियमितता का आरोप है. 1979 में एक आईपीएस अधिकारी के तौर पर राष्ट्रपति से वीरता पदक पा चुकी किरण बेदी को एयर इंडिया के इकोनॉमी क्लास के किराए में 75 फीसदी की छूट हासिल है, लेकिन वह जहां भी सेमिनार में जाती हैं, उसके आयोजकों से पूरा किराया वसूलती हैं. यही नहीं इकोनॉमी क्लास में सफर करके वह आयोजकों से बिजनेस क्लास का किराया मांगती हैं.

जवाब में बेदी साहिबा ने फुर्माया कि वह जो भी करती हैं, नेक काम के लिए करती हैं, लेकिन इसे बेवजह तूल दिया जा रहा है.

यहाँ प्रश्न यह उठता है कि अगर कोई डकैत डकैती का माल नेक कार्य में लगा दे, तो क्या उसकी डकैती अपराध नहीं रहती?

अब किरण बेदी कह रहीं हैं कि उन्हें आमंत्रित करने वालों को यात्रा खर्च के ऐवज में ली गई

अधिक राशि लौटा दी जाएगी. साफ़ है कि किरण बेदी के अन्तर्मन ने यह मान लिया है कि उन्होंने जो किया था, वह गलत था. लौटायी गयी राशि से किया गया अपराध माफ़ हो जायेगा क्या? कोई भी भ्रष्ट अधिकारी या नेता पकड़े जाने पर यदि यह कहे कि वह भ्रष्टाचार से हासिल की गयी राशि लौटा देगा, तो क्या उसका अपराध अपने आप माफ़ हो जायेगा?

अरविंद केजरीवाल तथा किरण बेदी के खिलाफ लगे वित्तीय अनियमितता के आरोपों और अन्य सदस्य प्रशांत भूषण द्वारा कश्मीर में जनमत संग्रह के समर्थन में दिए गए बयान के बाद “इंडिया अगेंस्ट करप्शन” (आईएसी) की छवि निश्चय ही खराब हुई है.

अन्ना हजारे टीम के महत्वपूर्ण सदस्य रहे राजेंद्र सिंह का कहना है कि हजारे अपने मकसद से भटक गए हैं और टीम अन्ना घमंडियों का दल है. उसमें अच्छे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है.

राजेंद्र सिंह का कहना है कि टीम अन्ना में सबसे खराब सदस्य किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल हैं. दोनों घमंडी हैं, दोनों अधिकारी रहे हैं, इसलिए लोगों पर रौब झाड़ना और अपनी बात थोपना उनकी आदत रही है.

सच्चाई क्या है, यह तो शायद कभी सामने आ ही जायेगी, परन्तु इस समय तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध चले इस आंदोलन के अगुआ कुछ लोगों के दामन दागदार-से नज़र आ रहे हैं.

– अमृत पाल सिंह ‘अमृत’

अक्तूबर २८, २०११.