फ़िरक़ापरस्ती में इज़ाफ़ा और दंगे – भाग 1/3 । पाकिस्तान की स्थापना (Hindi/Urdu)

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मेहरबानी करके पूरी विडियो देखिये। इस विडियो में मुख्य नुक्ते इस प्रकार हैं: –

* (1886 में) जब सर सय्यद अहमद ख़ान ने मुहम्मडन एजुकेशन कॉन्फ्रेंस शुरू की, तब इसका मक़सद सिर्फ़ एजुकेशन ही था।

* 27 दिसम्बर से 30 दिसम्बर, 1906 तक ढाका में मुहम्मडन एजुकेशन कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें आल इण्डिया मुस्लिम लीग के नाम से एक सियासी जमात खड़ी करने का मता पास किया गया।

* आल इण्डिया मुस्लिम लीग का सियासी निशाना मुसलमानों के सिविल राइट्स के लिये काम करना ही था। मुस्लिम लीग का एक मक़सद यह भी था कि मुसलमानों और दूसरे ग़ैर-मुसलमान भारतियों के दरमियान आपसी अंडरस्टैंडिंग बढ़ाई जाये।

* यह वो दौर था, जब मुस्लिम और हिंदू रहनुमाओं में आपस में एकता थी।

* ऐसा लगभग 1920-1921 तक चला। उसके बाद देश की सियासत में फ़िरक़ापरस्ती बढ़ने लगी।

* खिलाफ़त आंदोलन में 1921 में केरला के मालाबार के इलाक़े में Moplah Rebellion की घटना हुई। ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ चल रहा आंदोलन देखते ही देखते हिन्दुओं के ख़िलाफ़ हो गया। हिन्दुओं के घरों पर हमले हुये। उनके घर लूट लिये गये। कई हज़ार लोग मारे गये। कई हिंदुओं को मुसलमान बना लिया गया। हज़ारों हिन्दू अपने घर छोड़ कर भाग गये।

* अब इण्डिया में कई जगहों पर ख़ूनी दंगे भड़क उठे। सतम्बर 1922 में पंजाब के मुलतान में, अप्रैल 1923 में अमृतसर में, अगस्त 1923 में आगरा और सहारनपुर में, 1923 और फिर 1924 में नागपुर में हिन्दू और मुसलमान भीड़ों के दरम्यान भयंकर दंगे हुये।

* टर्की में 3 मार्च, 1924 को खिलाफ़त को भी ख़त्म कर दिया गया। अब इण्डिया में खिलाफ़त आंदोलन कर रहे मुसलमानों ने काँग्रेस की तरफ़ से चलाये जा रहे असहयोग आन्दोलन को छोड़ना शुरू कर दिया।

* एक हिन्दू की तरफ़ से लिखी गई किसी कविता को लेकर कोहाट में हिन्दुओं और सिखों का क़त्ल-ए-आम हो गया। यह 9 और 10 सतम्बर 1924 की बात है। 155 हिन्दुओं और सिखों को जान से मार डाला गया। कितने ही ज़ख्मी हुये। जो ज़िंदा बच गये, वो रावलपिंडी की तरफ़ भाग गये।

* इसी बैक्ग्राउण्ड में डॉ हेड्गेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बुनियाद 1925 में रखी। इससे पहले ही हिन्दू महासभा की बुनियाद रखी जा चुकी थी।