#पाकिस्तान_की_स्थापना । #हिन्दू_मुसलमान_सिख । #मुस्लिम_लीग ।
मेहरबानी करके पूरी विडियो देखिये। इस विडियो में मुख्य नुक्ते इस प्रकार हैं: –
* 1940 तक मुहम्मद अली जिन्नाह यूनाइटेड इण्डिया के मुसलमानों के सबसे बड़े लीडर के तौर पर उभर चुके थे। उन्हें क़ायद-ए-आज़म (great leader) के तौर पर जाना जाता था।
* मार्च 23, 1940 को आल इण्डिया मुस्लिम लीग के लाहौर सैशन में मुस्लिम मेजोरिटी वाला एक अलग देश बनाने का resolution, मता पेश किया गया, जिसे अगले दिन पास कर दिया गया।
* मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान की मांग का हिमायती बन गया। 1946 में इण्डिया की Constituent Assembly के लिये हुये elections में मुसलमानों के लिये reserve 476 सीटों में से आल इण्डिया मुस्लिम लीग ने 425 सीटों पर जीत हासिल की।
* कैबिनेट मिशन के प्लैन पर कांग्रेस और मुस्लिम लीग की पूरी सहमति नहीं बन सकी। अलग पाकिस्तान बनाने की मांग पर ज़ोर देने के लिये जिन्नाह ने 16 अगस्त 1946 को डायरेक्ट एक्शन डे का ऐलान कर दिया, जिसमें लोगों से अपील की गयी थी कि वो अपने कारोबार एक दिन के लिये बंद रखें।
* कलकत्ता में फ़साद 1945 से ही हो रहे थे। पहले ये फ़साद यूरोपियन लोगों के खिलाफ़ थे। बाद में ये हिन्दू-मुस्लिम फ़साद की शक्ल अख़्तियार कर गये। 46 नवम्बर 1945 में 46 यूरोपियन और ईसाई इन फ़सादों में मारे गये थे। फरवरी 1946 में 35 यूरोपियन और ईसाई फ़सादों का शिकार हुये।
* 16 अगस्त 1946 को डाइरैक्ट एक्शन डे पर कलकत्ता में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच बहुत बड़े स्तर पर दंगे हुये। बंगाल प्रोविन्स में मुसलमानों की तादाद हिन्दुओं से ज़्यादा थी, जबकि कलकत्ता शहर में हिन्दुओं की तादाद मुसलमानों से काफ़ी ज़्यादा थी।
* कलकत्ता में मुस्लिम लीग ने दोपहर 2 बजे एक रैली रखी। सुबह ही दुकानों को जबरन बंद कराया जाने लगा। पत्थरबाज़ी और छुरेबाजी की वारदातें होनी शुरू हुई। जब रैली ख़त्म हुई, तो रैली से लौट रहे लोगों ने हिन्दुओं पर हमले करने शुरू कर दिये। इससे शहर के अलग-अलग हिस्सों में दंगे भड़क उठे। अगले दिन 17 अगस्त को ये दंगे और भयंकर रूप ले चुके थे। एक मिल पर हमला कर के वहाँ ठहरे 300 मज़दूरों को मार डाला गया।
* ये भयंकर दंगे एक हफ़्ते तक चले। 4000 से ज़्यादा लोग इस में मारे गये। कई लोगों ने मरने वालों की तादाद 7000 से लेकर 10,000 तक भी बताई है। एक लाख से भी ज़्यादा लोग अपने घर छोड़ कर भाग गये।
* 10 अक्तूबर, 1946 को नोयाखली में दंगे शुरू हुये। यह दंगे असल में दंगे न हो कर हिन्दुओं का क़त्ल-ए-आम था। इस में कितने हिन्दू मारे गये, इस का कोई सही-सही अंदाज़ा लगाना मुमकिन नहीं है। मरने वाले हिन्दुओं की तादाद हज़ारों में थी।
* नोयाखली में हिन्दुओं के क़त्ल-ए-आम के बाद बिहार में मुसलमानों के खिलाफ़ हिंसा होनी शुरू हुई। छपरा, पटना, मुंगेर, और भागलपुर में ख़ास कर के मुसलमानों को निशाना बनाया गया और सैंकड़ों की तादाद में मुसलमान मार डाले गये।
* यूनाइटेड प्रोविंसेस में, गढ़मुक्तेश्वर में लगभग 2000 मुसलमान मार दिये गये।
* 1946 के आख़िर तक दंगे पंजाब और नॉर्थ-वेस्ट फ़्रंटियर प्रोविन्स में भी होने शुरू गये। पाकिस्तान की मांग के नतीजे में सबसे ज़्यादा मारकाट पंजाब में हुई। पश्चिमी पंजाब में मुस्लिम मेजोरिटी थी। वहाँ हिन्दुओं और सिखों का क़त्ल-ए-आम बहुत बड़े पैमाने पर हुआ। पूर्वी पंजाब में मुस्लिम आबादी कम थी। यहाँ मुसलमानों का क़त्ल-ए-आम बहुत बड़े पैमाने पर हुआ।
* वो हिन्दू और सिख, जो अब तक भी पाकिस्तान की मांग के ख़िलाफ़ थे, अब सोचने लगे कि ऐसे ख़ून-ख़राबे से अच्छा है कि अलग पाकिस्तान ही बन जाये।