(भाग 1/3) लाहौर में हिन्दू सिखों का कत्लेआम । पाकिस्तान की स्थापना ।

#ख़ून_से_लेंगे_पाकिस्तान ।
#पाकिस्तान_की_स्थापना ।
#हिन्दू_सिख_क़त्लेआम ।

मेहरबानी करके पूरी विडियो देखें/सुनें। इस विडियो के कुछ नुक्ते इस प्रकार हैं: –

* उस दौर में कितने लोग मरे और कितनी औरतों और बच्चों को अग़वा किया गया, इसके बारे में कभी भी पूरा-पूरा पता नहीं चल सकता। जिन्होंने भी डेटा इकट्ठा किया है, उनको शाबाशी है, लेकिन वो सब डेटा असल तादाद का एक छोटा-सा हिस्सा ही है।

* मेरे बुज़ुर्गों ने वो सब ज़ुल्म ख़ुद भी बर्दाश्त किये और अपनी आँखों से औरों को भी ज़ुल्म का शिकार होते देखा। उनकी बताई बातें मेरे लिये सबसे ज़्यादा भरोसेमन्द हैं। कई बुज़ुर्ग रिश्तेदारों से उस दौर के क़त्लेआम का आप-बीता हाल सुनता रहा हूँ। उनमें से कुछ बातों का ज़िक्र मैंने अपनी पहले की वीडिओज़ में किया है और कुछ का ज़िक्र आगे आने वाली वीडिओज़ में करूँगा।

* मैंने अपना टॉपिक सिर्फ़ हिन्दू सिख क़त्लेआम तक ही महदूद नहीं रखा। और न ही मेरा टॉपिक 1947 के वाक़्यात तक ही महदूद है। मैंने 1947 से बाद के हालात, 1971 में बांग्लादेश में क़त्लेआम, और आज के दौर में भी भारत में आ रहे हिन्दू और सिख refugees की भी बात करनी है। इन सब वाक़्यात का सीधा ताल्लुक़ पाकिस्तान की स्थापना, क़याम ए पाकिस्तान से ही है।

* 4 मार्च, 1947 को लाहौर के हिन्दू और सिख स्टूडेंट्स ने पंजाब में मुस्लिम लीग की मिनिस्ट्री बनाये जाने की कोशिशों के ख़िलाफ़ एक जलूस निकाला। नारे लगाते हिन्दू और सिख स्टूडेंट्स का यह जलूस लाहौर के पुराने शहर के अन्दर चौक मत्ती पहुँचा, तो मुस्लिग लीग के हिमायती लोगों ने इनका विरोध किया। दोनों तरफ़ के लोग आपस मे टकरा गये। इस फ़साद में कुल 8 लोग मारे गये, जिसमें ज़्यादातर हिन्दू और सिख थे।

* लाहौर के डी ए वी कॉलेज के स्टूडेंट्स के साथ पुलिस की एक झड़प कॉलेज के होस्टल के बाहर भी हुई। पुलिस ने गोली चलाई, जिससे एक स्टूडेंट की मौत हो गयी।

* 5 मार्च को जब मुल्तान में हिन्दू और सिख स्टूडेंट्स ने जलूस निकाला, तो उनपर ज़बरदस्त हमला कर दिया गया। कई हिन्दू और सिख स्टूडेंट्स मारे गये। हमलावर यहीं नहीं रुके। उन्होंने शहर के कई हिस्सों में हिन्दुओं और सिखों पर हमले किये। सिर्फ़ इस एक दिन में ही मुल्तान में 300 के क़रीब हिन्दू और सिख क़त्ल कर दिये गये और 500 से भी ज़्यादा ज़ख़्मी हुये।

* 5 मार्च को रावलपिण्डी में भी हिन्दुओं और सिखों ने जलूस निकाला। मार्च 1947 में हिन्दुओं और सिखों का सबसे खूंखार, सबसे बड़ा क़त्लेआम रावलपिण्डी डिवीज़न में ही हुआ था। 5 मार्च से शुरू हुये उस क़त्लेआम में अगले कुछ दिनों में ही 7000 से ज़्यादा हिन्दू और सिखों को क़त्ल कर दिया गया था। इन कुछ दिनों में ही 4000 से भी ज़्यादा हिन्दू और सिख औरतों को गुंडों की भीड़ें उठा कर ले गईं थीं।

* पंजाब की पुलिस में कुल 24,095 पुलिस कॉन्स्टेबल्स थे। इनमें से 17,848 मुसलमान ही थे। इस तरह पंजाब में 74 फ़ीसद कॉन्स्टेबल्स मुसलमान ही थे। हिन्दू और सिख कॉन्स्टेबल्स की तादाद सिर्फ़ 6167 थी। इसके इलावा 80 लोग या तो यूरोपीयन थे, या एंग्लो-इण्डियन।

* 1941 में पूरे लाहौर ज़िले की 1695375 की आबादी में मुसलमानों की आबादी 1027772 थी। यह 60 फ़ीसद से कुछ ज़्यादा बनती है। जबकि लाहौर शहर की 6,44,403 की पापुलेशन में 4,33,170 मुसलमान थे, 1,77,212 हिन्दू थे, और सिर्फ़ 34,021 सिख थे। इस तरह, लाहौर शहर में मुस्लिम आबादी लगभग 67 फ़ीसद थी। हिन्दू 27 फ़ीसद और सिख महज़ 5 फ़ीसद के लगभग थे।

* लेकिन लाहौर में जायदाद, इंडस्ट्री, एजुकेशनल और कल्चरल इंस्टीट्यूशन्स ज़्यादा हिन्दुओं के ही थे। सिखों का भी इसमें काफ़ी हिस्सा था। ऐसा होना कुछ अजीब भी नहीं था, क्योंकि ब्रिटिश हुकूमत से पहले लाहौर 40 साल तक सिख राज की राजधानी रहा था। सिख राज की राजधानी रही होने की वजह से सिख इस शहर पर अपना ख़ास हक़ समझते थे।

* 6 मार्च को अमृतसर जा रही रेल गाड़ी को शरीफ़पूरा के नज़दीक रोककर इसमें बैठे कुछ हिन्दुओं और सिखों को क़त्ल कर दिया गया।

* इसके बाद छुरेबाज़ी की वारदातें होने लगीं। कोई अकेला हिन्दू या सिख गुण्डों को कहीं मिल जाता, तो उसको चाकू मार दिया जाता। हिन्दुओं और सिखों के घरों को जलाने की वारदातें आम हो गईं। छुरेबाज़ी और आगज़नी की ऐसी वारदातें अगस्त और सितम्बर तक चलती रहीं, जब तक कि सारा लाहौर ज़िला हिन्दुओं और सिखों से लगभग ख़ाली न हो गया था।

* मेरे दादाजी ने मुझे बताया था कि उस दौर में हिन्दू और मुसलमान में देखकर फ़र्क़ करना कई बार आसान नहीं होता था। अगर किसी हिन्दू ने तिलक नहीं लगाया या उसके पहरावे से उसकी पहचान नहीं हो रही होती, तो शक होने पर गुण्डे उसको नँगा करके यह देखते कि इसकी सुन्नत हुई है कि नहीं। जब वो देख लेते कि यह हिन्दू है, तो उसको मार दिया जाता।

* लाहौर में साईकल पर आ रहे एक आदमी को रोक कर पहले यह देखा कि वो हिन्दू है कि नहीं। जब यह तय हो गया कि वो हिन्दू है, तो उसके गले को छुरे से आहिस्ता-आहिस्ता काट कर बड़ी बेरहमी से उसको तड़पा-तड़पा कर क़त्ल कर दिया गया।

* लाहौर में मई के महीने में हिन्दुओं और सिखों पर हमलों में एक दम तेज़ी आयी। अब हमले सिर्फ़ छुरेबाज़ी तक ही महदूद नहीं थे, बल्कि अब हमलावरों के पास बंदूकें भी आ चुकी थीं। अब 8-10 गुण्डों का गिरोह न होकर सैंकड़ों और हज़ारों की हमलावर भीड़ें थीं।

* 18 मई को लाहौर के मुस्लिम मेजोरिटी वाले इलाके मोज़नग में गुण्डों की भीड़ ने हिन्दुओं और सिखों के कई घरों में आग लगा दी। ग्रैंड ट्रंक रोड पर सिख नेशनल कॉलेज के सामने की तरफ़ के कई बंगलों को आग लगा दी गई, जो हिन्दुओं और सिखों के थे। अकबरी मंडी में हिन्दुओं के कई घर जला दिये गये। ग़रीब हिन्दू मज़दूरों की झुग्गियों को जला दिया गया। मस्ती गली एरिया में एक हिन्दू मन्दिर को भी आग लगा दी गई। शाही मस्जिद के नज़दीक शाही मुहल्ले में एक आदमी को क़त्ल करके उसके जिस्म पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी।

* सिखों की आबादी वाले सिंघपुरा में कई बार हमले कर के कई सिखों को गोलियों से क़त्ल किया गया। भारत नगर में हिन्दुओं के कई घरों को आग लगा दी गई। आग से बचने के लिये बाहर निकले हिन्दुओं को छुरे मार कर क़त्ल और ज़ख़्मी किया गया।

* मास्टर तारा सिंघ की रहनुमाई में अकाली दल ने पंजाब के बटवारे की माँग ज़ोरदार तरीके से उठाई। पंजाब के हिन्दू और सिख MLAs की तरफ़ से बटवारे पर फ़ैसला लेने के लिये 23 जून की तारीख़ रखी गई। 23 जून से पहले ही हिन्दुओं और सिखों को लाहौर से भगाने के लिये जून में ख़ास तौर पर हमले तेज़ कर दिये गये।