(भाग 2/2) पंजाब – क़तलेआम से पहले । पाकिस्तान की स्थापना ।

#ख़ून_से_लेंगे_पाकिस्तान ।
#पाकिस्तान_की_स्थापना ।
#हिन्दू_सिख_क़त्लेआम ।

मेहरबानी करके पूरी विडियो देखें/सुनें। इस विडियो के ख़ास नुक्ते इस प्रकार हैं: –

* पिछली वीडियो में मैंने पंजाब में फ़रवरी 1947 तक हालात बहुत बिगड़ने की बात कही थी। एक भाई ने मुझसे कहा है कि एक तरफ़ मैंने एक वीडियो में कहा है कि 3 मार्च 1947 तक पंजाब में क़त्लेआम शुरू नहीं हुआ था और दूसरी तरफ़ मैं कह रहा हूँ कि पंजाब में फ़रवरी 1947 तक हालात बहुत बिगड़ गये थे। यह भाई साहिब कहते हैं कि मेरा ऐसा कहना कंट्राडिक्शन है।

* क़त्लेआम का मतलब है बड़े पैमाने पर लोगों के क़त्ल होना। क़त्लेआम का मतलब है, जब लोगों के क़त्ल होना आम हो जाये। लोगों को बड़े पैमाने पर शरेआम क़त्ल कर देने को क़त्लेआम कहा जाता है। लोगों के दो अलग-अलग गुट, दो अलग-अलग गिरोह आपस में लड़ें, कुछ लोग ज़ख़्मी हो जायें, तो इसको दंगा कहा जाता है, फ़साद कहा जाता है। अगर ऐसे किसी फ़साद में कुछ लोग मर भी जायें, तो इसको दंगा-फ़साद ही कहा जाता है।

* जैसे, 24 फ़रवरी, 1947 को अमृतसर साहिब में मुस्लिम लीग की agitation के चलते एक भीड़ ने एक सिख पुलिस कांस्टेबल को पीट-पीट कर जान से मार डाला और मुसलमान मजिस्ट्रेट को बुरी तरह से ज़ख़्मी कर दिया था। एक मुसलमान आदमी पुलिस फायरिंग में मारा गया था। कई और पुलिस वाले भी ज़ख़्मी हुये थे। मेरी नज़र में यह एक फ़साद था। क्या इसको क़त्लेआम कहा जा सकता है? बिल्कुल नहीं।

* जब मैंने यह कहा कि फ़रवरी, 1947 तक हालात बहुत बिगड़ गये, तो मैंने यह भी कहा कि आख़िर 2 मार्च, 1947 को ख़िज़्र हयात टिवाणा ने मुस्लिम लीग की सख़्त मुख़ालफ़त के चलते अपनी मिनिस्ट्री का इस्तीफ़ा दे दिया। यहाँ हालात बिगड़ने से मेरा मतलब यूनियनिस्ट colitition मिनिस्ट्री के ख़िलाफ़ मुस्लिम लीग की agitation से बिगड़े हालात से ही था, जिस दौरान अलग-अलग शहरों में जलूस निकाले गये, पुलिस फायरिंग हुई, कई जगहों पर पुलिस ने छापेमारी की, मुस्लिम लीग के कई लोगों को ग़िरफ़्तार किया।

* इस वक़्त तक हालात ऐसे नहीं थे कि वेस्ट पंजाब से हिन्दुओं-सिखों को और ईस्ट पंजाब से मुसलमानों को मार भगाया जाने लगा हो। उम्मीद करता हूँ कि मेरी कही बातें अब साफ़-स्पष्ट हो गई होंगी।

* पंजाब सरकार ने मुस्लिम लीग की agitation के violent elements को दबाने के लिये मुस्लिम लीग नेशनल गार्ड्स पर पाबन्दी लगा दी। यह पाबन्दी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी लगा दी गई। शुक्रवार, 24 जनवरी, 1947 को लगभग एक ही वक़्त लाहौर में इन दोनों organisations के दफ़्तरों पर पुलिस ने छापेमारी की। कुछ के घरों पर भी छापे मारे गये।

* फ़रवरी के महीने में रावलपिण्डी में मुस्लिम लीग के एक demonstration के violent हो जाने के बाद पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। लाहौर में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स में घुसकर मुस्लिम लीग के हिमायती स्टूडेंट्स ने फाइलों को बिखेर दिया और खिड़कियों के शीशे तोड़ दिये। औरतों और बच्चों ने लाहौर के कई हिस्सों में ट्रैफिक जाम कर दिया। पूरे शहर में इस तरह के हंगामे के बीच एक जलूस निकाला गया। पुलिस ने इस पर लाठीचार्ज कर के इनको खदेड़ दिया।

* फ़रवरी के आख़िर में पंजाब सरकार के साथ बातचीत के बाद मुस्लिम लीग ने अपनी agitation ख़त्म कर दी। 2 मार्च 1947 को ख़िज़्र हयात टिवाणा ने इस्तीफ़ा दे दिया। टिवाणा के इस्तीफ़ा देने पर जिन्नाह ने कहा था कि अब पाकिस्तान बना ही बना और अब कोई रुकावट नहीं है।