कटास राज की संभाल न करने के लिये सरकार को लताड़

(अमृत पाल सिंघ ‘अमृत’)

कल 23 नवम्बर, 2017 को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पोठोहार के इलाके के प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ कटास राज मन्दिर परिसर में स्थित सरोवर की उचित संभाल न कर पाने के लिये सरकार को लताड़ लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कहा है कि एक हफ़्ते के अन्दर-अन्दर कटासराज मन्दिर के सरोवर को पानी से भरा जाये, चाहे यह पानी मशकों में ही भर-भर के लाना पड़े।

पाकिस्तानी पंजाब के ज़िला चकवाल में स्थित कटासराज मन्दिर परिसर कटास सरोवर के इर्दगिर्द बने मन्दिरों का समूह है। ऐसा विश्वास है कि यह सरोवर मूलतः शिवजी के आँसुओं से बना था, जब वह अपनी पत्नी सती की मृत्यु पर दुःखी थे।

पोठोहारी हिन्दू परम्परा के अनुसार इसी सरोवर के किनारे पाण्डव युधिष्ठिर ने यक्ष के प्रश्नों के उत्तर दिये थे। परम्परा से चले आ रहे विश्वास के अनुसार मुख्य मन्दिर की आधारशिला श्री कृष्ण भगवान ने रखी थी।

वर्तमान मन्दिर परिसर का निर्माण हिन्दूशाही राज के दौरान सातवीं शताब्दी में हुआ था। तब से लेकर अगस्त 1947 तक यह शैव पन्थ का पोठोहार में केन्द्र रहा है। यहाँ का शिवरात्रि का मेला पोठोहार से बाहर तक के इलाक़ों में मशहूर था।

मार्च, 1947 में पोठोहार के हिन्दू-सिख क़त्लेआम के बाद पूरे पोठोहार से हिन्दू-सिखों का पलायन शुरू हो गया था। अगस्त के महीने तक लगभग सभी हिन्दू, सिख पोठोहार छोड़कर भारत चले गये। 15 अगस्त, 1947 को कटासराज मन्दिर परिसर पर दंगाइयों ने हमला करके मन्दिरों में तोड़फोड़ की और मूर्तियों को बाहर फेंक दिया था।

पिछले कुछ सालों से मन्दिर परिसर में धार्मिक गतिविधियाँ फिर से शुरू हुई हैं। पाकिस्तान की सरकार ने परिसर के विकास के लिये कुछ धन ख़र्च किया है। भारत से धार्मिक मूर्तियाँ लाकर यहाँ स्थापित की गयीं हैं।

नज़दीक की सीमेंट फैक्ट्रियों के द्वारा धरती से पानी निकालते रहने की वजह से ज़मीनदोज़ (अंडरग्राउंड) पानी की कमी के चलते सरोवर का पानी भी सूखने लगा है।

अख़बारों में सरोवर के पानी के सूखने की ख़बरों के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस मियां साकिब निसार ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि यह मन्दिर सिर्फ़ हिन्दुओं के लिये ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि पाकिस्तान की क़ौमी विरासत का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं के हक़ों की हिफ़ाज़त के लिये अदालत किसी भी हद तक जा सकती है। मामले की पड़ताल के लिये उन्होंने एक कमेटी का गठन किये जाने का भी हुक्म दिया।

व्यक्तिगत तौर पर मेरी राय है कि पाकिस्तान की सरकार को चाहिये कि धार्मिक यात्राओं के लिये भारत के हिन्दुओं और सिखों को खुले दिल से वीज़ा दे। जैसे पाकिस्तान के गुरुद्वारों के लिये प्रबन्धक समिति बनाई गई है, इसी तरह से हिन्दू मन्दिरों के लिये भी समिति बनाई जाये। भारत और दूसरे देशों के हिन्दू उस समिति को दान दें।

धार्मिक यात्रा के लिये सरकारी मन्ज़ूरी वाले जत्थे का हिस्सा बनने की शर्त नहीं होनी चाहिये, बल्कि किसी भी ऐसे हिन्दू और सिख परिवार को फौरन 15 दिन का वीज़ा दिया जाना चाहिये, जो धार्मिक उद्देश्य से पाकिस्तान जाना चाहते हैं।

News Source: http://www.tribuneindia.com/mobi/news/world/fill-katas-raj-temple-pond-with-water-in-a-week-pak-sc-to-govt/502824.html