#पाकिस्तान । #शरणार्थी_मुद्दे । #मुस्लिम_लीग । #हिन्दू_मुसलमान ।
टू नेशन थ्योरी पर मेरी विडियो का यह दूसरा हिस्सा है।
मेहरबानी करके पूरी विडियो देखिये। इस विडियो में मुख्य मुद्दे इस प्रकार हैं: –
* आल इण्डिया मुस्लिम लीग ने नेशन की अपनी ही परिभाषा के मुताबिक़ हिन्दुओं और मुसलमानों को अलग-अलग नेशन माना। बात सिर्फ़ इतनी ही रहती कि हिन्दू एक अलग नेशन हैं और मुसलमान एक अलग नेशन, तो भी कुछ ख़ास न होता, बस एक ज़ेहनी रस्साकशी चलती रहती। लेकिन, बात तो यह बना दी गई कि क्योंकि मुसलमान एक अलग नेशन हैं और हिन्दू एक अलग नेशन हैं, इसलिए ये दोनों इकट्ठे नहीं रह सकते।
* उनकी दलील थी कि हिंदुओं और मुसलमानों के मज़हब, तवारीख़/हिस्टरी, रस्म-ओ-रिवाज़ अलग-अलग हैं, इसलिये उनके मुल्क भी अलग-अलग होने चाहियेँ।
* सभी मुसलमान ही पाकिस्तान की मांग के हक़ में नहीं थे। सभी मुसलमान ही टू-नेशन थ्योरी के क़ायल नहीं थे। बल्कि पाकिस्तान की मांग के मुद्दे पर मुस्लिम लीग से कई मुसलमान अलग हो गए थे और आल इण्डिया मुस्लिम लीग दोफाड़ हो गई थी।
* अगर यह दलील मानी जाये कि मुसलमान हिन्दुओं से अलग नेशन हैं, इसलिये इकट्ठे नहीं रह सकते, तो फिर मुसलमान पश्चमी देशों में ईसाईओं के साथ इकट्ठे कैसे रह लेते हैं?
* आज भारत में रहने वाले मुसलमानों की तादाद पाकिस्तान में रहने वालों मुसलमानों से कुछ ज़्यादा ही है, कम नहीं। अगर मुसलमान हिंदुओं के साथ नहीं रह सकते होते, तो पाकिस्तान जितने ही मुसलमान भारत में कैसे रह रहे हैं?
* अगर मुसलमान होना ही अपने-आप में एक क़ौमियत है, nationality है, तो एक ही क़ौम के, एक ही नेशन के इतने सारे मुल्क क्यूँ हैं? सभी इस्लामिक मुल्क एक ही मुल्क में तब्दील क्यूँ नहीं हो गये?
* अगर मुसलमान होना ही अपने-आप में एक क़ौमियत है, तो मुस्लिम majority वाले पाकिस्तान मे पख्तून, बलोच, सिन्धी वग़ैरह नस्ली मुद्दे क्यूँ उठे?
* अगर मुसलमान होना ही अपने-आप में एक क़ौमियत है, तो इस्लामिक मुल्कों में शिया और सुन्नी के झगड़े क्यों हैं? क्या अब शिया एक अलग नेशन हैं और सुन्नी एक अलग नेशन हैं? क्या ईरानी लोग इसलिये अलग नेशन हैं, क्यूंकि उनमें majority शिया हैं, या इस लिये अलग नेशन हैं, क्यूंकि उनका अपना एक अलग आज़ाद देश हैं?
* अगर मुसलमान होना ही अपने-आप में एक क़ौमियत है, nationality है, तो फिर पाकिस्तान से अलग होकर 1971 में बांग्लादेश क्यों बना? क्या बांग्लादेशी मुसलमान अब पाकिस्तानी मुसलमानों से अलग नेशन हो गए थे ?
* हक़ीक़त यह है कि अगर सभी के साथ एक-सा इंसाफ़ हो, सभी को बराबरी का दर्जा मिले, तो सभी क़ौमें, कभी नेशन्स इकट्ठे रह सकते हैं। अगर एक ही क़ौम में, एक ही नेशन में कुछ लोगों से बे-इंसाफ़ी हो, तो बदअमनी फैलेगी, हिंसा होगी, violence होगी। हमारी जद्दोजहद बे-इंसाफ़ी के खिलाफ होनी चाहिये, न कि लोगों के मजहबों, नस्लों, ज़ातों, ज़बानों, और नेशन्स के नाम पर बांटा जाना चाहिये।