टू नेशन थ्योरी – भाग 3/4 । पाकिस्तान की स्थापना (Hindi/Urdu)

#पाकिस्तान । #हिन्दू_मुसलमान । #जिन्नाह । #सिख ।

मेहरबानी करके पूरी विडियो देखिये। इस विडियो में मुख्य मुद्दे इस प्रकार हैं: –

* 11 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान की कन्स्टीचुअंट असेम्बली को मुख़ातिब करते हुए मुहम्मद अली जिन्नाह साहब ने कहा, “आप आज़ाद हो: आप आज़ाद हो अपने मंदिरों में जाने के लिये, आप आज़ाद हो अपनी मस्जिदों में जाने के लिये और पूजा की किसी भी और जगह पर, इस पाकिस्तान स्टेट में। आप किसी भी मजहब या कास्ट या creed से ताल्लुक रखने वाले हो सकते हो, इसका स्टेट के काम-काज से कोई वास्ता नहीं है।”

* हिन्दू और मुसलमान अखण्ड भारत में इकट्ठे रह सकते थे। अरे, सदियों से वो इकट्ठे रहते ही तो आये थे। अगर पहले वो इकट्ठे रह रहे थे, तो अब इकट्ठे रहने में उनको क्या दिक्कत थी?

* जो मुस्लिम लीग हिन्दुओं के साथ नहीं रह सकती थी, वो सिखों के साथ रहने में कोई दिक्कत नहीं महसूस करती थी। यही वजह है कि जिन्नाह साहिब ने सिखों को पाकिस्तान में शामिल होने के लिये कहा था। अगर जिन्नाह साहिब की मुस्लिम लीग हिन्दुओं के साथ नहीं रह सकती थी, तो सिखों के साथ कैसे रह सकती थी?

* असल बात कुछ और थी। उनको एक ऐसा मुल्क चाहिये था, जहाँ मुसलमान मेजोरिटी में हों, अक्सरियत हों।

* कितने ही मुसलमान भारत में ही रहे और पाकिस्तान नहीं गये। इसका सीधा-सा मतलब यही है कि उन्होंने टू-नेशन थ्योरी को रद्द कर दिया था। वो मानते थे, वो जानते थे कि वह ग़ैर-मुसलमानों के साथ रह सकते हैं। यह वो लोग थे, जिन्होंने जिन्नाह साहिब को या अलगाववादी मुस्लिम लीग को, सेप्रटिस्ट मुस्लिम लीग को रद्द कर दिया था।

* ज़ाकिर हुसैन साहिब, फखरुद्दीन अली अहमद साहिब, और डा. एपीजे अब्दुल कलाम साहिब मुसलमान थे। ये तीनों भारत के राष्ट्रपति बने। इसके अलावा एक और मुसलमान मुहम्मद हिदायतुल्ला साहब भारत के एक्टिंग प्रेजिडेंट रहे। इसके मुक़ाबले में, पाकिस्तान में कोई भी ग़ैर मुस्लमान राष्ट्रपति नहीं बन सकता, सदर नहीं बन सकता।