‘तहरीक-ए- लब्बैक या रसूल अल्लाह’ का धरना
(अमृत पाल सिंघ ‘अमृत’)
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कट्टरपंथी मज़हबी जमात ‘तहरीक-ए- लब्बैक या रसूल अल्लाह’ के प्रमुख ख़ादिम हुसैन रिज़वी की रहनुमाई में पिछले तीन हफ़्तों से चल रहा धरना क़ानून मन्त्री ज़ाहिद हामिद के इस्तीफ़े के बाद आज ख़त्म कर दिया गया है।
इलेक्शन एक्ट में उम्मीदवार की तरफ़ से लिये जानी वाली शपथ में ख़त्म-ए-नबूवत से जुड़े बदलाव को लेकर पाकिस्तान में मज़हबी कट्टरपंथी गुटों ने बहुत नाराज़गी दिखाई थी। दबाव में आकर सरकार ने एक्ट में किये गये बदलाव को रद्द करके फिर से पहले वाली शपथ ही लागू कर दी थी।
लेकिन तहरीक-ए- लब्बैक या रसूल अल्लाह और ख़ादिम हुसैन रिज़वी इससे ही संतुष्ट नहीं थे। उनकी एक और प्रमुख माँग यह भी थी कि क़ानून मन्त्री ज़ाहिद हामिद को फ़ौरी तौर पर अहुदे से हटाया जाये। सरकार इसके लिये राज़ी नहीं हो रही थी।
प्रदर्शनकारी रावलपिण्डी से इस्लामाबाद जा रहे मुख्य मार्ग को फैज़ाबाद इन्टरचेंज पर रोक कर बैठे हुये थे। इससे रावलपिण्डी और इस्लामाबाद में जीवन कुछ हद तक अस्त-व्यस्त हो गया था।
सरकार साफ़ तौर पर कट्टरपंथी गुटों के दबाव में थी। महज़ दो हज़ार लोगों के इस सड़क-जाम प्रदर्शन को रोकने के लिये सरकार कोई कदम उठाने से हिचकिचाहट दिखाती रही।
अदालत से डांट खाने के बाद सरकार ने इस शनिवार धरना हटाने के लिये पुलिस का इस्तेमाल किया। कुल छह लोगों की मौत हो गयी। लाहौर, पेशावर, और कराची समेत कई और जगहों पर भी प्रदर्शन होने लगे। कल इतवार को भी हिंसा की घटनाएं होती रहीं। इसके बाद इस्लामाबाद के इस धरने में प्रदर्शनकारियों की तादाद बढ़ कर तक़रीबन पाँच हज़ार हो गयी थी।
अफ़वाहों को फैलने से रोकने के लिये सरकार ने पूरे पाकिस्तान में प्राइवेट टीवी चैंनलों और फेसबुक समेत सोशल मीडिया पर फ़ौरी तौर पर पाबन्दी लगा दी।
सरकार ने चाहे फ़ौज को बुला लिया था, लेकिन फ़ौज ने लोगों के ख़िलाफ़ ताक़त का इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया।
फ़ौज के इशारे को समझते हुये दबाव में आई सरकार ने प्रदर्शनकारियों की माँगों के आगे झुकना ही सही समझा और क़ानून मन्त्री ज़ाहिद हामिद ने अपने अहुदे से इस्तीफ़ा दे दिया। प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ सभी मुकद्दमे वापिस ले लिये जाने की मांग भी सरकार ने मान ली है। साथ ही इलेक्शन एक्ट में ख़त्म-ए-नबूवत से जुड़े बदलाव के लिये ज़िम्मेदार लोगों की निशानदेही करके उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिये एक समिति बनाने का भी ऐलान सरकार ने किया है। प्राइवेट टीवी चैंनलों और फेसबुक समेत सोशल मीडिया पर लगी पाबन्दी हटा ली गयी है।
ज़ाहिर सी बात है कि पाकिस्तान में कम ही जानी जाती जमात ‘तहरीक-ए- लब्बैक या रसूल अल्लाह’ इस धरने की कामयाबी के बाद अब पहले से कहीं ज़्यादा ताक़तवर हो सकती है। इसके रहनुमा ख़ादिम हुसैन रिज़वी अपने बेहद भड़काऊ भाषणों के लिये जाने जाते हैं। धरने की कामयाबी के बाद लोगों में उनका प्रभाव और बढ़ने की सम्भावना है।
ख़ादिम हुसैन रिज़वी के बुलन्द हौसले को इसी बात से जाना जा सकता है कि आज जब रिज़वी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, तो उनको टीवी चैनलों पर लाइव न दिखाये जाने से नाराज़ होकर उन्होंने पत्रकारों को कुछ देर के लिये बन्धक भी बना लिया। टीवी चैनल सरकारी पाबन्दी की वजह से उनको लाइव नहीं दिखा सकते थे। सुरक्षा बलों के दख़ल के बाद ही पत्रकारों को छोड़ा गया।